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आदि शंकराचार्य के उद्धरण

हे मूढ़मति! तू कौन है? मैं कौन हूँ? मैं कहाँ से आया? मेरी माता कौन है? मेरा पिता कौन है? ऐसा विचार कर इस असार व स्वप्न सदृश विश्व को त्यागकर निरंतर भगवान की उपासना कर।