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श्री अरविंद के उद्धरण

हमारे लिए तो ब्रह्म को सत्य और जगत को मिथ्या कहने की अपेक्षा ब्रह्म को सत्य और जगत को ब्रह्म कहना अधिक उचित और हितकर है।