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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

दिव्य-दृष्टि-संपन्न कवि तुलसीदास ने ‘भावभेद रसभेद अपारा’ कहकर, रामायण के आरंभ में ही काव्य की वास्तविकता की दिशा इंगित की है।