मैनेजर पांडेय के उद्धरण
भागवत के विमर्श से यह निष्कर्ष निकलता है कि भागवतकार के मानस से महाभारत और उसकी कृष्णकथा विस्मृत नहीं है। इसलिए भागवतकार ने महाभारत की कृष्णकथा का सार-संग्रह भागवत के प्रारंभ में किया है, किंतु उसका लीलारसिक मन, कृष्ण की रसवत वात्सल्य और कैशोर लीलाओं की मार्मिक व्यंजना में ही लीन हुआ है।
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