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राजेंद्र माथुर के उद्धरण

भारत में जो समानांतर संविधान चल रहे हैं वे तेल और पानी की तरह एक-दूसरे से अलग-थलग हैं। जिस गुठली से हिंदू जाति पैदा हुई है, वह राजनीति-निरपेक्ष है।