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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

बड़ी और बहुत बड़ी ज़िंदगी जीना तभी हो सकता है, जब हम मानव की केंद्रीय प्रक्रियाओं के अविभाज्य और अनिवार्य अंग बनकर जिएँ।