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जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

अव्यवस्था को समझाने से जो व्यवस्था जन्म लेती है वह किसी चीज़ की अनुकृति नहीं है और न ही वह किसी सत्ता पर या आपके किसी विशेष अनुभव पर आधारित है। निश्चय ही इस व्यवस्था का जन्म बिना किसी नियंत्रण और चेष्टा के होना चाहिए—चेष्टा विकृति उत्पन्न करती है।