आपको अपने सिवा किसी पर भी विश्वास नहीं करना है। आपको भीतर की आवाज़ सुनने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन यदि आप उसके लिए भीतर की आवाज़ शब्द प्रयुक्त न करना चाहें तो आप 'विवेक का आदेश' शब्द प्रयुक्त कर सकते हैं। और यदि आप ईश्वर को प्रदर्शित नहीं करते हैं तो मुझे इसमें ज़रा भी संदेह नहीं है कि आप किसी और चीज़ को प्रदर्शित करेंगे जो अंत में ईश्वर सिद्ध होगी, क्योंकि सौभाग्य से इस संसार में ईश्वर के सिवा कुछ और है ही नहीं।