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प्रेमचंद के उद्धरण

आप एक ग्रामीण के साथ लंबी से लंबी यात्रा हँसते हुए कर सकते है, लेकिन बाबू साहब के साथ आप छोटी यात्रा करके ऊब भी जाते हैं। उस ग्रामीण के जीवन में कुछ रस है कुछ उत्साह है, कुछ आशावादिता है, कुछ बालकों का सा कुतुहल है, कुछ अपनी विपत्ति पर हँसने की सामर्थ्य है, लेकिन मास्टर या बाबू साहब अपने आप में सिमट कर मानो सारी दुनिया से रूठ गए हैं।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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