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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

अल्पवित्त वाला व्यक्ति अगर एक दिन के लिए अपना राजा का शौक पूरा करने जाए; तो वह दस दिन के लिए अपने को दीवालिया बना डालता है, उसके अलावा उसके पास और कोई उपाय नहीं रहता है।

अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी