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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

अल्पवय का धर्म यही है कि वह सुख एवं दुःख, अच्छा एवं बुरा—अत्यंत स्वतंत्र रूप देखता है।

अनुवाद : चंद्रकिरण राठी