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विजय कुमार

1948 | मुंबई, महाराष्ट्र

सुपरिचित कवि-आलोचक और अनुवादक। 'अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ', 'चाहे जिस शक्ल से' और 'रात-पाली' शीर्षक से तीन कविता-संग्रह प्रकाशित।

सुपरिचित कवि-आलोचक और अनुवादक। 'अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ', 'चाहे जिस शक्ल से' और 'रात-पाली' शीर्षक से तीन कविता-संग्रह प्रकाशित।

विजय कुमार का परिचय

जन्म : 11/11/1948 | मुंबई, महाराष्ट्र

विजय कुमार का जन्म 11 नवंबर 1948 को मुंबई में हुआ। उनकी उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय से हुई।

कवि-आलोचक, निबंधकार और अनुवादक रूप में भारतीय साहित्य में सक्रिय और समादृत विजय कुमार के अब तक तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं : 'अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ' (1981), 'चाहे जिस शक्ल से' (1995), 'रात-पाली' (2006)। 

उनकी प्रमुख आलोचना पुस्तकें हैं : ‘साठोत्तरी हिंदी कविता की परिवर्तित दिशाएँ’ (1986), ‘कविता की संगत’ (1996), कवि-आलोचक मलयज के कृतित्व पर साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित मोनोग्राफ़ (2006), ‘कविता के पते-ठिकाने’ (2014)

उनके वैचारिक निबंधों के प्रमुख संग्रह हैं : ‘अँधेरे समय में विचार’ (2006) बीसवीं सदी के युद्धोत्तर यूरोपीय विचारकों पर पुस्तक ‘खिड़की के पास कवि’ (2012)

उन्होंने ‘उद्भावना’ पत्रिका के बेहद चर्चित कविता-विशेषांक ‘सदी के अंत में कविता’ (1998) का संपादन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने हिंदी पत्रिका ‘पहल’ के लिए पाकिस्तानी शाइर अफ़ज़ाल अहमद सैयद, समकालीन अफ़्रीकी साहित्य, जर्मन चिंतक वाल्टर बेन्यामिन तथा फ़िलस्तीनी विचारक एडवर्ड सईद पर विशेष अंकों का संयोजन-संपादन भी किया।

सम्मान-पुरस्कार : कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’ (1996), आलोचना के लिए ‘कविता की संगत’ पुस्तक पर देवीशंकर अवस्थी सम्मान (1997), समग्र लेखन पर 'प्रियदर्शिनी अकादेमी सम्मान' (2008), 'महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादेमी सम्मान' (2012)

व्यवसाय : प्रारंभ में नवभारत टाइम्स मुंबई में उप संपादक। बाद में बैंक में हिंदी अधिकारी।

संप्रति : आईडीबीआई बैंक मुंबई प्रधान कार्यालय में राजभाषा विभाग के महाप्रबंधक पद से सन् 2005 में स्वैच्छिक अवकाश। इन दिनों स्वतंत्र लेखन।

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