सुमित्रानंदन पंत के निबंध
भारतीय संस्कृति क्या है
आज हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जब भिन्न-भिन्न देशों के लोग एक नवीन धरती के जीवन की कल्पना में बँधने जा रहे हैं। जब मनुष्य-जाति अपने पिछले इतिहास की सीमाओं का अतिक्रम कर नवीन मनुष्यता के लिए एक विशाल प्रांगण का निर्माण करने का प्रारंभिक प्रयत्न
शृंगार और अध्यात्म
भारतीय साहित्य परंपरा में शृंगार और अध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी न समझे जाकर परस्पर पूरक ही माने गए है और उनका पोषण, भाई-बहनों की तरह, एक ही साथ, एक ही रस तत्व द्वारा होता आया है। लोक दृष्टि से ये दोनों मूल्य भले ही विभक्त कर दिए गए हों—पर रहस्य, और कुछ
कला का प्रयोजन : स्वांतःसुखाय या बहुजनहिताय
हमारे युग का संघर्ष आज केवल राजनीतिक तथा आर्थिक क्षेत्रों ही में प्रतिफलित नहीं हो रहा है, वह साहित्य, कला तथा संस्कृति के क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुका है। यह एक प्रकार से स्वास्थ्यप्रद ही लक्षण है कि हम अपने युग की समस्याओं का केवल बाहरी समाधान ही