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संत बाबालाल

1435 - 1655

भक्तिकालीन निर्गुण संत। 'असरारे मार्फत' और 'नादिरुन्निकात' कृतियों के रचनाकार।

भक्तिकालीन निर्गुण संत। 'असरारे मार्फत' और 'नादिरुन्निकात' कृतियों के रचनाकार।

संत बाबालाल के दोहे

हिंदू तो हरिहर कहे, मुस्सलमान खुदाय।

साँचा सद्गुरु जे मिले, दुविधा रहे ना काय॥

आशा विषय विकार की, बध्या जग संसार।

लख चौरासी फेर में, भरमत बारंबार

जाके अंतर वासना, बाहर धरे ध्यान।

तिहँ को गोविंद ना मिले, अंत होत है हान॥

देहा भीतर श्वास है, श्वासे भीतर जीव।

जीवे भीतर वासना, किस बिधि पाइये पीव॥

जिन्ह को आशा कछु नहीं, आतम राखे शून्य।

तिहँ को नहिं कछु भर्मणा, लागे पाप पून्य॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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