प्रसाद के नाटक
मानव-अभिव्यक्ति के सशक्त व प्रभावशाली माध्यमों में रूपक अथवा नाटक का मूर्धन्य स्थान है। कला और साहित्य का समस्त अंतः सौंदर्य, मन के सक्रिय सहयोग से श्रवणेंद्रिय एवं नेत्र द्वारा चर्वणीय और आस्वादनीय होता है। कला एवं साहित्य के अंतर्गत आने वाले समस्त