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प्रयाग शुक्ल

1940 | कोलकाता, पश्चिम बंगाल

सातवें दशक में उभरे कवि। अनुवाद, कला-आलोचना और संपादन में भी सक्रिय।

सातवें दशक में उभरे कवि। अनुवाद, कला-आलोचना और संपादन में भी सक्रिय।

प्रयाग शुक्ल का परिचय

प्रयाग शुक्ल का नाम 28 मई, 1940 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा पुरखों के गाँव तिवारीपुर (ज़िला फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश) में हुई। आगे कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक किया। वह कवि, कथाकार और कला-समीक्षक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। रंगमंच और सिनेमा पर भी लिखते रहे हैं।

‘कविता संभव’, ‘यह एक दिन है’, ‘अधूरी चीज़ें तमाम’, ‘बीते कितने बरस’, ‘यह जो हरा है’, ‘यहाँ कहाँ थी छाया’, ‘इस पृष्ठ पर’, ‘सुनयना फिर यह न कहना’ उनके काव्य-संग्रह हैं। ‘यानी कई वर्ष’ में उनके छह संग्रहों की कविताएँ संकलित की गई हैं। प्रतिनिधि कविताओं का संकलन ‘पचास कविताएँ’ में हुआ है। ‘ह्वाइल अ प्लेन ज़ूम्स पास्ट इन द स्काई’ अंग्रेज़ी में प्रकाशित काव्य-संग्रह है।

‘अकेली आकृतियाँ’, ‘इसके बाद’, ‘छायाएँ तथा अन्य कहानियाँ’, ‘काई’ में उनकी कहानियों का संकलन हुआ है और ‘एल्बम’ उनकी प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है। ‘गठरी’, ‘आज और कल’, ‘लौटकर आने वाले दिन’ उनके उपन्यास हैं। ‘सम पर सूर्यास्त’, ‘सुरंगाँव बंजारी’, ‘त्रांदाइम में ट्राम’, ‘हेलेन गैनली की नोट बुक’, ‘ग्लोब और ग़ुब्बारे’ उनके यात्रा-वृतांत’ हैं। उनके निबंधों का संग्रह ‘घर और बाहर’ और ‘हाट और समाज’ के रूप में प्रकाशित है और ‘साझा समय’ और ‘स्मृतियाँ बहुतेरी’ संस्मरणात्मक कृतियाँ हैं। ‘अर्ध विराम’, ‘आज की कला’, ‘सत्यजित राय: एक फ़िल्मकार की ऊँचाई’, ‘राम कुमार: लाइंस एंड कलर्स (अंग्रेज़ी) उनकी आलोचना संबंधी कृतियाँ हैं।

एक अनुवादक के रूप में उन्होंने रवींद्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ का मूल बांग्ला से हिंदी अनुवाद किया है। उन्होंने जीवनानंद दास और शंख घोष की प्रतिनिधि कविताओं, बंकिमचंद्र के प्रतिनिधि निबंध और ओक्ताविओ पाज की कविताओं का अनुवाद भी किया है। कविता-नदी, कला और कविता, कला समय समाज, बदरीविशाल, रंग तेंदुलकर, अंक यात्रा उनके संपादन में प्रकाशित कृतियाँ हैं। उन्होंने कल्पना, दिनमान, नवभारत टाइम्स, समकालीन कला, रंग प्रसंग, हिंदी फ़ेमिना, पराग, संगना आदि पत्र-पत्रिकाओं का संपादन और संपादन-सहयोग किया है।

‘धम्मक धम्मक’, ‘हक्का बक्का’, ‘चमचम बिजली झमझम पानी’, ‘कहाँ नाव के पाँव’, ‘ऊँट चला भाई ऊँट चला’, ‘मिश्का झूल रही है झूला’, ‘धूप खिली है हवा चली है’, ‘उड़ना आसमान में उड़ना’ आदि बाल-साहित्य में उनका योगदान है। 

वह साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार, शरद जोशी सम्मान, द्विजदेव सम्मान आदि से सम्मानित किए गए हैं। 

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