निशांत कौशिक की संपूर्ण रचनाएँ
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शब-ओ-रोज़ छत पर जूठा था अमरूद। एक मिट्टी का दिया जिसमें सुबह, सोखे हुए तेल की गंध आती थी। कंघी के दांते टूट गए। आईने पर साबुन के झाग के सूखे निशान
By निशांत कौशिक | 10 जुलाई 2023
1991 | जबलपुर, मध्य प्रदेश
सुपरिचित कवि-लेखक और अनुवादक। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से तुर्की भाषा में स्नातक। तुर्की से अनुवाद में अदीब जानसेवेर, जमाल सुरैया, तुर्गुत उयार, बेजान मातुर और अन्य कई महत्त्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाएँ समय-समय पर प्रकाशित।
सुपरिचित कवि-लेखक और अनुवादक। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से तुर्की भाषा में स्नातक। तुर्की से अनुवाद में अदीब जानसेवेर, जमाल सुरैया, तुर्गुत उयार, बेजान मातुर और अन्य कई महत्त्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाएँ समय-समय पर प्रकाशित।