सिक्का बदल गया
खद्दर की चादर ओढ़े, हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुँची तो पौ फट रही थी। दूर-दूर आसमान के पर्दे पर लालिमा फैलती जा रही थी। शाहनी ने कपड़े उतारकर एक ओर रखे और 'श्री...राम, श्री...राम' करती पानी में हो ली। अंजलि भरकर सूर्य देवता को नमस्कार किया,