हिंदी-उपन्यास लेखकों को उलाहना
संप्रति हिंदी भाषा में उपन्यासों की बड़ी भरती देख पड़ती है। इनमें से अधिकांश बंग भाषा के उपन्यासों के अनुवाद हैं। हिंदी के मूल उपन्यासों की गणना बहुत थोड़ी है बल्कि यों कहा जाए कि मूल उपन्यास का अभाव है, तो फब सकता है। उन अनुवादित उपन्यासों में भी कुछ