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हरिराम मीणा

1952 | सवाई माधोपुर, राजस्थान

आदिवासी-संवेदना और सरोकारों को अभिव्यक्ति देने वाले हिंदी कवि-लेखक।

आदिवासी-संवेदना और सरोकारों को अभिव्यक्ति देने वाले हिंदी कवि-लेखक।

हरिराम मीणा का परिचय

हरिराम मीणा का जन्म राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के बामनवास गाँव में 1 मई 1952 को हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत रहे जहाँ से पुलिस महानिरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए। संप्रति अखिल भारतीय आदिवासी साहित्य मंच, दिल्ली के अध्यक्ष के रूप में सक्रिय हैं। 

वह आदिवासी समाज के वरिष्ठ बुद्धिजीवी, कवि, चिंतक, विचारक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। कविताओं में प्रस्तुत उनकी वैचारिकी समस्त आदिवासी समाज के यथार्थ को प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस क्रम में उनकी रचनात्मक सक्रियता आदिवासी यथार्थ की अभिव्यक्ति से आगे बढ़ते हुए समग्र मनुष्यता के सांद्र विश्लेषण तक विस्तृत हो जाती है।

उनके अब तक तीन कविता-संग्रह (‘हाँ, चाँद मेरा है’, ‘सुबह के इंतज़ार में’, ‘आदिवासी जलियाँवाला एवं अन्य कविताएँ’), एक प्रबंध-काव्य (‘रोया नहीं था यक्ष’), तीन यात्रा-वृतांत, एक उपन्यास, आदिवासी विमर्श की दो पुस्तकें तथा समकालीन आदिवासी कविता (संपादन) पर एक पुस्तक प्रकाशित हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं और वार्ता आदि का प्रकाशन एवं प्रसारण हुआ। उनकी पुस्तकें देश के दर्जनों विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल है। उनके साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के सौ से ऊपर एम.फिल. एवं आधा दर्ज़न पीएच.डी. की जा चुकी है।

वह भारतीय पुलिस पदक, राष्ट्रपति पुलिस पदक, वन्यजीव संरक्षण के लिए पद्मश्री सांखला अवार्ड, डा। अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च ‘मीरां पुरस्कार, केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, बिड़ला फ़ाउंडेशन के बिहारी पुरस्कार और विश्व हिंदी सम्मान से विभूषित हैं। 

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