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गगन गिल

1959 | नई दिल्ली, दिल्ली

सुपरिचित कवयित्री और गद्यकार। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवयित्री और गद्यकार। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

गगन गिल का परिचय

जन्म : 18/11/1959 | नई दिल्ली, दिल्ली

सुपरिचित कवयित्री गगन गिल का जन्म 19 नवंबर 1959 को नई दिल्ली में हुआ। उच्च शिक्षा के बाद 1983-93 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह व संडे ऑब्ज़र्वर में एक दशक से कुछ अधिक समय तक साहित्य संपादन से संबद्ध रहीं और फिर 1992-93 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमेन फ़ैलो रहीं। 1983 में प्रकाशित उनके पहले काव्य-संग्रह ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ और 1984 में भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से वह चर्चा में आईं। उनका एक अन्य विशिष्ट परिचय यह है कि वह समादृत लेखक निर्मल वर्मा की जीवन-संगिनी रहीं। 

नब्बे के दशक की स्त्री स्वर की कविताओं में वह नए मुहावरे के साथ आईं। वह स्त्री के दुखों और उदासियों को रचने वाली कवयित्री हैं और कुछ मौक़ों पर ‘महादेवी वर्मा’ भी कही गई हैं। दु:खों और उदासियों के अलावा उनकी कविताओं में भारतीय चिंतन परंपराओं की रेख भी मौजूद है। उनकी कविताओं का अनूठापन इस बात में भी है कि उनकी अभिव्यक्ति के एक बाह्य स्पंदन के अंदर आंतरिक तनाव-दबाव का बाँध बना रहा है। उनकी कविताओं के लिए कहा गया है कि वे अपनी दृढ़ता और संयम से एक आने वाले परिष्कार का पूर्वबोध कराती हैं। 

लगभग 35 वर्ष लंबी उनकी रचना-यात्रा की नौ कृतियाँ मौजूद हैं। ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ (1989), ‘अँधेरे में बुद्ध’ (1996), ‘यह आकांक्षा समय नहीं’ (1998), ‘थपक थपक दिल थपक थपक’ (2003), ‘मैं जब तक आई बाहर’ (2018) उनके पाँच काव्य-संग्रह हैं। दिल्ली में उनींदे (2000), अवाक् (2008), देह की मुँडेर पर (2018) और इत्यादि (2018) उनकी गद्य-कृतियाँ हैं। 

वह 1990 में अमेरिका के सुप्रसिद्ध आयोवा इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भारत से आमंत्रित लेखक थीं जबकि 2000 में गोएटे इंस्टिट्यूट, जर्मनी और 2005 में पोएट्री ट्रांसलेशन सेंटर, लंदन यूनिवर्सिटी के निमंत्रण पर जर्मनी और इंग्लैंड के कई शहरों में कविता पाठ के लिए गईं। उन्होंने भारतीय प्रतिनिधि लेखक मंडल के सदस्य के रूप में चीन, फ़्रांस, इंग्लैंड, मॉरीशस, जर्मनी, मैक्सिको, ऑस्ट्रिया, इटली, तुर्की, बुल्गारिया, कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया आदि देशों की यात्राएँ की। उन्हें भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1984), संस्कृति सम्मान (1989), केदार सम्मान (2000), हिंदी अकादेमी साहित्यकार सम्मान (2008), द्विजदेव सम्मान (2010) आदि से सम्मानित किया गया है।

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