तक्षशिला
कयामत के दिन रुहों के उठने की बात कहीं जाती हैं। उसकी सच्चाई अब तक किसी ने न देखा पर आज जो मैं वगैर कयामत के इस बीसवीं सदी में सर जॉन मार्शल की कुदाल से अपनी कब्र से निकल पड़ी हूँ, यह सच है।
मेरा इतिहास ईसा पूर्व उन्नीसवीं सदी के शुरु होकर ईसा पश्चात्