संपूर्ण
परिचय
कविता53
गीत2
ई-पुस्तक15
ऑडियो 4
वीडियो3
संस्मरण2
कहानी5
आत्मकथ्य1
आलोचनात्मक लेखन3
उद्धरण40
अज्ञेय की कहानियाँ
गैंग्रीन/रोज़
दुपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते हुए मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो, उसके वातावरण में कुछ ऐसा अकथ्य, अस्पृश्य, किंतु फिर भी बोझल और प्रकम्पमय और घना-सा फैल रहा था… मेरी आहट सुनते ही मालती बाहर निकली। मुझे देखकर, पहचानकर
कैसेंड्रा का अभिशाप
(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि
रोज़
दोपहरिए में उस घर के सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो, उसके वातावरण में कुछ ऐसा अकथ्य, अस्पृश्य, किंतु फिर भी बोझिल और प्रकंपमय और घना-सा फैल रहा था...। मेरी आहट सुनते ही मालती बाहर निकली। मुझे