आन्द्रेई तारकोवस्की का सिनेमा सिनेमा लेखन
समय में गढ़ते हुए
फ़िल्मीय बिंब "बात को कुछ इस तरह कहें कि कोई आत्मिक यानी महत्वपूर्ण फेनोमना महत्वपूर्ण है तो विशेषकर इसीलिए क्योंकि वह अपनी स्वयं ही की सीमा लाँघता है, वह किसी विशाल आध्यात्मिक और ज़ियादा ही बड़ी सार्वभौमिक बात की अभिव्यक्ति और प्रतीक की तरह, बल्कि