शीत वर्णन

shiit var.nan

कल्लोल

कल्लोल

शीत वर्णन

कल्लोल

और अधिककल्लोल

    सीयाळइ तउ सी पड़इ, ऊन्हाळड़ लू वाइ।

    वरसाळइ भुइँ चीकणी, चालण रुत्ति काइ॥

    जिणि दीहे पाळउ पड़इ, टापर तुरी सहाइ।

    तिणि रिति बूढी ही झुरइ, तरुणी केम रहाइ॥

    जिणि दीहे पाळउ पड़इ, टापर पड़ तुरियाँइ।

    तियाँ दिहाँरी गोरड़ी दिन दिन लाख लहाँइ॥

    जिणि रिति मोती नीपजड़, सीप समंदाँ माहिं।

    तिणि रिति ढोलउ ऊमह्मउ, इँम को माणस जाहि॥

    जिणि दीहे तिल्ली, त्रिड़इ हिरणी झालइ गाभ।

    ताँह दिहाँरी गोरड़ी, पड़तउ झालइ आभ॥

    जिणि दीहे पाळउ पड़ड़, माथउ त्रिडइ तिलाँह।

    तिणि दिन जाए प्राहुणउ, कळियळ कुरझड़ियाँह॥

    जिण रित नागन नीसरइ, दाझइ वनखँड दाह।

    जिण रित मालवणी कहइ, कुँण परदेसाँ जाह॥

    दिन छोटा, मोटी रयण, थाडा नीर पवन्न।

    तिण रित नेह छाँडियइ हे, बालम वडमन्न॥

    उत्तर आज उत्तरउ, सही पड़ेसी सीह।

    वालँभ घरि किमि छंडियइ, जाँ नित चंगा दीह॥

    उत्तर आज उत्तरउ पड़सी वाहळियाँह।

    उर ओले प्री राखियह मूँधा काहळियाँह॥

    उत्तर आज बज्जियउ, सीय पड़ेसी पूर।

    दहिसी गात निरध्धणाँ, धण चंगी घर दूर॥

    उत्तर आज उत्तरउ, पल्लांणियाँ दरक्क।

    दहिसी गात कुँवारियाँ, थळ जाळी बळि अक्क॥

    उत्तर आज उत्तरउ सीय पड़ेसी थट्ट।

    सोहागिण घर आँगणइ, दोहागिणरइ घट्ट॥

    उत्तर आज उत्तरउ, पाळउ पडिसी रीठ।

    दोहागिण घट साँमुहउ, सोहागिणरी पीठ॥

    उत्तर आज उत्तरउ, पाळउ पड़इ असेस।

    दहिसी गात जु विरहिणी, जाका प्री परदेस॥

    उत्तर आज उत्तरउ, पाळउ पड़इ तरंत।

    माळवणी इम वीनवइ, हूँ किम जीवूँ कंत॥

    उत्तर आज उत्तरउ, पाळउ पड़इ रवंद।

    का वासंदर सेवियइ, कइ तरुणी, कइ मंद॥

    उत्तर आज उत्तरइ, ऊपड़िया सी कोट।

    काय दहेसइ पोयणी, काय कुँवारा घोट॥

    उत्तर आज वज्जियउ, उकठियइ केकाँण।

    काँमिण काँम कमेडि ज्यउँ, हइ लागउ सींचाण॥

    उत्तर आज उत्तरइ वाजइ लहर असाधि।

    संजोगणी सोहामणइ, विजोगणी अँग दाधि॥

    उत्तर आज जाइयइ, जिहाँ सीत अगाध।

    ता भइ सूरिज डरपतउ ताकि चलइ दखिणाध॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ढोला मारू रा दूहा
    • संपादक : रामसिंह, सूर्यकरण पारीक, नरोत्तमदास स्वामी
    • रचनाकार : कुशललाभ
    • प्रकाशन : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर
    • संस्करण : 2005

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए