जीबैत शालीक
जनकपुर देवी चौक केर प्रांगणमे
शालीक सन ठाढ़ ओ वृद्धा
माँगि रहल अछि
अपन बेटाक बलिदानक हिसाब
ओकर खूनक मोल
सत्तालोलुप कथित क्रांति नायक सभकेँ
आह्वान करैत कहैछ
फाड़ि लैह अपन क्रांतिक लाल किताब
अपन साम्यवाद, मार्क्सक सिद्धान्तक पतरा-पोथी
वाचाल देवी चौक अचानक स्तब्ध आ मौन भऽ जाइत छैक
जेना ककरो मृत्युक शोकमे दू मिनट केर मौन धारण कऽ लेने हो
बेपताक सूचीसँ गायब
कहाँ अछि हमर बेटाक लहास
दे हमरा, हमर क्रांतिपूत केर निर्जीव देह
सहलायब ओकर केश
थपथपेबैक ओकर गाल
आ कहबैक
यमराजसँ पैंचि माँगिकऽ बरु एक मुट्ठी साँस
आबह आ देखह
जाहि शोषण आ सामन्तक विरुद्ध
भूख आ क्रांतिक कथा सुनि बौरायल छलह
आ उठौने छलह हथियार
आइ कहाँ छह तोहर ओ आदर्श-क्रांति-नायक सभ
जाह भेटतह करोड़ोक आलीशान लाल बंगलामे
नहि तँ चढ़ल भेटतह माओक झण्डा फहरबैत
मुस्तांगी लाल भी.आई.पी. कारमे
तोहर ढोंगी साम्यवादी दूत सभ
जनवादी शिक्षा पढ़ि मूर्ख बनल हे गरीबक सन्तान
दिग्भ्रमित हे अन्धभक्त
बुर्जुआ शिक्षा कहि जाहि स्कूलमे लगौने छलहक आगि
आ झोंकि देने छलहक लाखहुँ कोमल सपनाकेँ त्रासद अन्धकारमे
स्कूलमे फोड़िकऽ बम
उठाकऽ अशिक्षाक त्रासद बवण्डर
हे प्रचण्ड पथ केर प्रदर्शक
आबिकऽ देखह
कालान्तरमे, ओही पथक मसीहा सभ
छद्म नामसँ पढ़बैत रहलह अपन सन्तान, सन्तति सभकेँ
एकसँ एक उच्च विद्यालय आ विश्वविद्यालय सभमे
आ पहिरबैत रहलह गौरव केर तगमा
नव सामन्ती मुस्कान छोड़ैत
कहैत छलहक सर्वहारा वर्ग केर सत्ता अओतैक
खूब अयलह...
गरीब जनताक आँतमे समताक भूख जगाकऽ
निचोड़िकऽ एक-एक बुन्न रक्त
आइ बाँटि-चुटिकऽ स्वयं खाइत छह
तोहर आदर्शक पुतला सभ
आबहु तँ उघारह भ्रम केर पर्दा
आ देखह
एखनहुँ छापामार युद्धमे, छातीमे गोली लेने
तोहर सहयोद्धा जीवित शहीद भऽ
माँगि रहल छह भीख
लुल्ह-नांगर तोहर सहयात्री सभ
अपने शिविरसँ अनुपयुक्त करार भऽ
निकम्मा आ नकारा भेल फिरैत छह
की कऽ सकैत छह ओकरा सभक संग न्याय
उठा सकैत छह नव शोषकक विरुद्ध जोरदार आवाज
आ कि हथियार
मोछक रेखी बसयसँ पहिने
जकर जुआनी बन्दूक केर बोझ तर दबि गेल छलैक
की कऽ सकैत छह फिरता ओकर समय
ओकर अधखिज्जू सपना सभक अनन्त उड़ान
कहाँ गेलह तोहर जनवादी शिक्षा
प्रधानमन्त्री कुर्सीक तर दबिकऽ फुटि गेलह तोहर एकता
की मात्र सत्ताक लेल छलह
तोहर एतेक रास क्रांति आ सिद्धान्तक भाषण
आब हमरामे उलहन देबाक सामर्थ्य बाँकी नहि छह
बस! एक मुट्ठी साँस माँगिकऽ आबह हे हमर क्रांतिसपूत
आ माँगह
एक गोट सम्पूर्ण नस्ल केर भविष्य
ओकर जुआनीक गर्म खून
ओकर अधूरा सपना सभक मुस्कान
आ माँगह सरिपहुँ
ज्ञात-अज्ञात शहीद सभक घरक पटाङ्गिनीमे ठाढ़
जीबैत शालीक सभक स्पन्दन
ओकरा सभक घरक लाचारी वृत्ति
प्रतीक्षा आ नोर केर क्षतिपूर्ति
नहि तँ कमतीमे माँगह
शहीद सभक रक्तक मोल
क्रांतिक मोल आ सरिपहुँ
शान्तिक हिसाब
देवी चौक केर प्रांगणमे
बजैत-बजैत अचानक ओ वृद्धा बेसुध लाश भऽ गेलीह
आ पाथरक शालीक सभ अचानक ध्वस्त भऽ गेलैक
मुदा स्तब्ध चौक एखनहुँ स्तब्ध आ मौन छैके!
- पुस्तक : धाराक विरुद्ध (पृष्ठ 25)
- रचनाकार : विजेता चौधरी
- प्रकाशन : नवारम्भ
- संस्करण : 2019
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