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विदा

vida

चेस्लाव मीलोष

और अधिकचेस्लाव मीलोष

    मैं तुमसे बोलता हूँ बरसों की चुप्पी के बाद

    मेरे बेटे। वेरोना बाक़ी नहीं।

    अपनी उँगलियों से ईटें चूर-चूर की हैं। यह बचता है

    घर शहरों से बहुत प्यार का।

    मैं बग़ीचे में तुम्हारी हँसी सुनता हूँ। और पागल वसंत की

    गंध छोटी भीगी पत्तियों से मेरे नज़दीकतर रही है,

    मेरे नज़दीक, जो किसी बचाने वाली शक्ति में भरोसा करते हुए,

    दूसरों और अपने आपके बाद भी टिका हुआ है।

    काश तुम्हें पता होता कि कैसा लगता है जब रात को

    कोई अचानक जाग उठता और पूछता है :

    धड़कते दिल को सुनते हुए : तुम्हें और क्या चाहिए,

    लालची? वसंत, कोयल कूक रही है।

    बग़ीचे में बच्चों की हँसी। पहला स्पष्ट तारा

    खुलता है पहाड़ियों पर फूलों की फेन पर जो खिले नहीं हैं

    और फिर लौटता है मेरे ओठों पर एक हलका गान,

    और मैं फिर युवा हूँ जैसा कि एक समय था, वेरोना में।

    ठुकराना। हर चीज़ को ठुकराना। यह वह नहीं है।

    मैं तो पुनर्जीवित करूँगा वापस जाऊँगा।

    सोओ, रोमियो और जूलिएट, टूटे पंखों के तकिए पर

    मैं नहीं उठाऊँगा राख में से तुम्हारे जुड़े हाथ।

    उजाड़ कैथेड्रलों में घूमने दो एक बिल्ली को

    जिसकी पुतली चमकेगी वेदी पर। एक उल्लू को

    एक मृत तोरण पर बनाना चाहिए एक घोंसला।

    तपत्ती, सफ़ेद दुपहर में मलबे में एक साँप को

    लंबी घास पर धूप सेंकना चाहिए और चुपचाप

    उसे अनावश्यक सोने के इर्दगिर्द एक चमकता घेरा लपेटना चाहिए।

    मैं वापस नहीं जाऊँगा। मैं जानना चाहता हूँ, क्या बचता है

    ठुकराने के बाद वसंत और प्रेम,

    ठुकराने के बाद क़िरमिज़ी ओंठ,

    जिनसे घुटनभरी रातों में बहती थी

    एक गर्म तरंग।

    गीत और शराब की गंध ठुकराने के बाद,

    क़समें और शिकायतें, और एक हीरा-रात,

    और समुद्री चिड़ियों की चीख़, जिनके पीछे चमक है

    एक काले सूर्य की।

    जीवन से, एक सेब से, जो एक दहकते चाक़ू से काटा गया है,

    क्या बीज बच सकता है।

    मेरे बेटे, विश्वास करो, कुछ नहीं बचता।

    सिर्फ़ वयस्क संघर्ष,

    हाथ में भाग्य की लकीर,

    सिर्फ़ संघर्ष,

    और कुछ नहीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 103)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक अशोक वाजपेयी, रेनाता चेकाल्स्का
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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