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तीरंदाज़

tirandaz

अनुवाद : सुरेश सलिल

पावो हाविक्को

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पावो हाविक्को

तीरंदाज़

पावो हाविक्को

और अधिकपावो हाविक्को

    (एक)

    हुकूमत का तामझाम और दूरदर्शिता

    शिखर सभा को प्रस्थान कर गए

    हुज़ूरेवाला ने अपना झंडा गाड़ दिया

    हमारी वहाँ कोई ज़रूरत नहीं

    और, साफ़ बात है

    अकेले मेरी भला औक़ात क्या!

    आओ, अब इसे पढ़ो—

    कीड़ों में तब्दील होते हुए

    मेरे हाथ में हथौड़ा है और बिरंजियाँ

    हाथ आसमान-छूते

    पैर ज़मीन पर जमे

    अब से शायद कोई चीज़ विलग हो

    हाथ आकाश से पैर ज़मीन से

    पहाड़ी पर की हवा, पानी और आग ने

    हरदम धरती को उजाड़ा है

    ये वे चीज़ें हैं जो अपने साथ

    ख़ूनखराबा, जंग, मनहूस बीमारियाँ

    और अकाल मौतें लाती हैं

    हुकूमत का तामझाम और दूरदर्शिता

    फिर नुमूदार होते हैं

    और काली वर्दियों वाले लोग भी,

    आँखों पर चढ़ी ऐनकों के

    लपटों से लाल हो रहे शीशों के साथ ही

    रुतबा ख़ूँरेज़ी का एलान करता है

    और दूरदर्शिता में इज़ाफ़ा होता है

    हम यहाँ दिमाग़ से नहीं

    दिल से संचालित होने के लिए आए हैं

    हम सारे लोग यहाँ दूरदर्शिता की नुमाइश लगाने नहीं

    क़ुर्बानियों का हौसला दिखाने आए हैं।

    (दो)

    अब, सम्राट के बारे में

    जैसे मैं बताता हूँ

    तुम उसे देखो—

    थोपे हुए सम्राट को

    सम्राट के बारे में

    जैसे मैं बताता हूँ

    देखो कि

    जाड़े के दिन हैं

    और सम्राट अकेला है

    सम्राट एक धारणा है

    अँधेरा उतरने के साथ

    स्पष्टतर होती हुई

    सम्राट एक धारणा है

    और धुँधलका घिर रहा है

    ढलानों पर झाड़ी पनप रही है

    किसी गरुड़ के ऊँचे नीड़ की भाँति

    टहनियों की सघन शुष्कता

    और सम्राट अकेला है

    साफ़-साफ़ देखा जा सकता है उसे

    वह अपनी शिकारगाह में है

    जाड़े में ठंडी रहती है वह

    वह ऐसा प्राणी है

    जिसे अँधेरे में बख़ूबी देखा जा सके

    और विवेक, चिड़िया, उल्लू

    तुम्हारा अविवेकी विवेक

    फिर भी देखता है उसे

    अब भी, इस अँधेरे में—

    सम्राट को

    मैंने तुम्हें गुमराह किया है

    तुम एक पहाड़ के पायँताने खड़े हो

    और यह जाड़े का मौसम है

    तुम टहनियों के बीच से, एक

    सम्राट को ताकने की कोशिश करते हो

    जो कि नहीं है

    लेकिन फिर

    जब तुम आँखें बंद करते हो

    वह तुम्हें अपने 'लॉज' में दीखता है

    उसका प्रतिबिंब स्पष्ट है

    मैंने तुम्हें गुमराह किया है

    अब अपनी आँखें खोलो

    और मेरी बात पर कान दो :

    वह साम्राज्य तुम्हारे दिल में बिछा हुआ है

    वहीं उसकी सत्ता है

    आँख के एक पलक झपकने-भर में साम्राज्य बना

    और नष्ट हुआ

    जब आँखें खुली होती हैं

    यह आख़िरी साँस लेता है।

    (तीन)

    एक आदमी अगर सैनिक नहीं है

    तो उसका क्या मतलब?

    कोई मतलब नहीं

    एक सैनिक अगर हथकड़ी-बेड़ी में

    जकड़ा प्राणी नहीं है तो उसका क्या मतलब?

    ऐसी किसी चीज़ का क्या मतलब?

    कोई मतलब नहीं

    चाहे उसे ऊपर उठाओ चाहे ज़मीन में गाड़ दो

    ताकि और दरख़्त ठूँसे जा सकें

    और जिस ज़मीन का तुम्हें वादा किया गया था

    वह ज़मीन तुम्हें मिलेगी

    अपने हाथ खोलो और इनाम हासिल करो

    मुट्ठी-भर ज़मीन का

    अपनी आँखें खोलो और आँखों में भी तुम उसे पाओगे

    मैं तुम्हें तुम्हारी ज़मीन के बाबत बता सकता हूँ

    वह देवदार के एक दरख़्त के नीचे उत्तर से दक्खिन तक फैली है

    मुझे जो बहुत साफ़ दिखाई देता है

    तुम अगर उसे बिल्कुल नहीं देख सकते

    तुम्हें सुनाने के लिए

    मैं लफ़्ज़ों को भजन की धुन में गुनगुनाऊँगा

    अँधेरा घिरने के साथ, मैं यहीं खड़ा रहूँगा

    मुड़कर देखने के लिए, कि वह कहाँ से आता है

    जिस जंगल के किनारे

    जहाँ-कहीं मैं हूँ

    उसके सिवा बाक़ी सब कुछ मैं जानता हूँ

    हमारी आँखों का सबसे इच्छित नज़ारा : यह अँधेरा

    हमें जगा देता है— और व्यतीत हो जाता है।

    (चार)

    मुँह में दाँत और सिर पर बालों के साथ पैदा हुआ जारज पुत्र

    हिंडोले में नहीं, बैठा है एक कोने में

    किसी प्रियजन के घुटनों पर आसीन नहीं है

    उसका गोलमटोल गुदाज़ जिस्म।

    उसके ललछौं बाल

    जैसे जाड़े के दिनों देवदार के दरख़्त,

    और उस लाली में जारज पुत्र

    जंगल के बीच से गुज़रता है,

    सिर पर टोपी नहीं है जारज पुत्र के

    चौड़े-खुले रास्ते को पकड़-चलते हुए वह दैत्य नज़र आता है

    अंगुल-भर लंबा।

    दस साल बीत गए!

    सुंदरता सोई पड़ी है और दैत्य चौड़ाया हुआ है

    नींद में चौड़ा रहा है—चौड़ाता जा रहा है।

    दस साल और...

    और अब दैत्य दैत्य के असली रूप में चुका है

    अपने भरपूर विकास के साथ,

    और वह जंगल के बीच से गुज़रता है।

    सपने में उसे दिखाई देते हैं तीन पुरुष

    दुनिया को अपने कंधों पर ढोते हुए

    विस्मय से अभिभूत हो उठता है वह

    और विस्मयाभिभूत होकर हँस पड़ता है

    हँसी थमती है और उसका थमना

    बलूत के दरख़्त की तरह धूल चाटता नज़र आता है

    बलूत के दरख़्त अपने पूरे क़द-काठी के साथ

    अर्राकर पड़ते हैं ज़मीन पर

    और लेट जाते हैं चुपचाप

    सोने की तैयारी करते हुए।

    विश्व को वहन करते वे

    सोते हैं—सपना देखते हैं, गिरते हैं।

    (पाँच)

    स्वप्न में एक स्वर्णकलश

    स्वप्न में एक खुला आकाश

    कलश सोने के थे

    राजा के आदमियों ने बाँध दिए

    दरख़्तों की फुनगी से हमारे टख़ने

    दरख़्तों को नीचे झुकाते हुए।

    दरख़्तों का हरापन

    ग़ुस्से से फूट पड़ा

    हम क्रुद्ध होते हैं अनंत जीवन के सम्मुख

    और वह तड़क जाता है।

    हरापन हरा हो रहा है हमारे भीतर

    हम उड़ते हैं हवा के दरवाजे के बाजू से सटकर

    हवा सुबकती है हमारे लिए।

    हम राजा के तीरंदाज़ थे

    हम दरख़्तों की पत्तियाँ हैं

    पत्तियाँ सहलाती हैं हवा का जिस्म

    राजा की तिजोरी-जैसी भारी नहीं हैं वे

    हम जाते हैं दरख़्तों को लालिमायुक्त करने।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 406)
    • रचनाकार : पावो हाविक्को
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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