सलाह एक महिला के लिए
salah ek mahila ke liye
मान लो तुम शुरुआत करती हो
चंद सचाइयों को स्वीकार करते हुए
उदाहरण के लिए जैसे
तुमने स्वीकार किया
वह काला पढ़ाकू लड़का
जो जानबूझ कर तुम्हारे बग़ीचे में करता है ताँक-झाँक
ओ मेरी प्यारी बन्नो,
तुम झुठला सकती हो नाबीनों को
छुपा सकती हो अपना क्वाँरा चेहरा
और भर सकती हो अपना दुराग्रही एकांत
कुतियों और बिल्लियों से
तुम काट सकती हो टेलीफ़ोन
जिसकी प्रतिध्वनियाँ भयभीत
गूँजती हैं तुम्हारे ख़ाली कमरे में
तुम सपना सकती हो
तुम ग़ुस्सा हो सकती हो
लेकिन तुम मिटा नहीं सकती हो
सचाई को
बहादुर बनो,
खिड़कियाँ खुली रखो
उतार डालो अपना शृंगार
और अपना ड्रेसिंग गाउन
और खड़ी हो जाओ नग्न
जिस तरह आयी थी दुनिया में
तुम फिर दौड़ पड़ो
परछाइयों में से एक बिल्ली के जैसी
बंद करो अविश्वसनीय होना
आशावान होने की करो शुरुआत
और हुँकारो।
नीची है बाड़
सरल है
पार कूदने के लिए
अपने छात्रावासों में सो रहे हैं सारे छात्र
उन्हें जगा दो
धीरे-धीरे कामोद्वलित करो अपने आप को
बगुला भगत
ख़ैर
एक को हमें बिस्तर करो
उसकी जाँघें उजागर करेंगी विपरीतों का युद्ध
उसकी जिह्वा होगी चतुर
तमाम द्वंद्वों की अपेक्षा
और तब तुम विजयी हो सकती हो
इस वर्ग संघर्ष में!
- पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 251)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : इबॉर्तो पॅदिल्ल्या
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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