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रोटी संग बन्नूक : अन्तिम लड़ाइ

roti sang bannuk ha antim laDai

अंशुमान सत्यकेतु

अंशुमान सत्यकेतु

रोटी संग बन्नूक : अन्तिम लड़ाइ

अंशुमान सत्यकेतु

और अधिकअंशुमान सत्यकेतु

    एयरकंडीशन्ड रूममे सुतबाक अर्थ होइ छै

    विधवा बेटीक बलात्कार

    जखनि साँढ़ सभ कामातुर बनल

    जत्र-कुत्र ढहनाइत

    हत्या-व्यभिचारक तगमा लटकौने

    महान कहाओत

    अऽढ़-घाट ताकि

    मायोक हाथ-पैर बेचि

    अपन ढीढ़ भरि रहल

    ओहिना नहि

    गुज्ज अन्हरिया रातिमे

    कुकुरक फकसियारीपर

    गोनरिपर पड़ल दम्मा-दुखित बुढ़वा

    खखसि उठैये शंकाक जुआरिमे

    घूमि रहल चारूकात निशाचर

    जनतंत्री मोशनाइ तकै अछि दिनमे

    घेंट मँगै अछि रातिमे

    वीर्य-युद्धक एहि संक्रमणमे

    पाथर पीबैये दूध

    बरफक ढूहिपर रहि-रहि उठैये लिंग

    कतहु-सटैये मनुक्ख गाछ

    तँ कतहु जनमसँ आगू

    जिनगीक बसात कछाइये

    एहना स्थितिमे

    अखाढ़क रौदमे

    कोदरवाहि करैत भुखनाक

    ललाटसँ चूबैत घाम

    पैर तरक चेपाकेँ

    शोणिता रहल

    अहुरिया कटैत

    कोढ़मे अदौक भूख

    करेजमे चिल्काक

    चित्कारक सुल्फा गाड़ने

    खाली मुट्ठी तानि घुरैये

    गिरहतक खरिहानसँ

    बाट निहारैत नेनाक

    पेट-पाँजरि हसोथि उठैये

    आसक गरमाहटिसँ

    पत्नीक उतान वक्षक उष्णतामे

    सेरायल कियैक अछि भुखना

    साइत अपन ऊर्जाकेँ

    सबील रहल

    जंग लागल भाला-फरसाकेँ

    माँजि रहल

    सोहरल पुलिंगक नोकसँ

    स्त्रीलिंगक भाग्य चछाइये

    हमरा बूझल अछि

    चौखाड़ापर चलि रहल भाथी आइ

    बिझायल फारपर शान चढ़तै

    नव क्रांतिक आगि नमरतै

    तेँ

    मचान तऽर गाड़ल छैक

    भुखनाक घाम-पसेनाक कमाइ

    रोटी संग बन्नूकक अन्तिम लड़ाइ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एखन धरि (पृष्ठ 70)
    • रचनाकार : अंशुमान सत्यकेतु
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2018

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