Font by Mehr Nastaliq Web

प्रेक्षागृह

prekshagrih

अनुवाद : गिरधर राठी

यीव बोनफ़्वा

यीव बोनफ़्वा

प्रेक्षागृह

यीव बोनफ़्वा

और अधिकयीव बोनफ़्वा

    (कुछ अंश)

    एक

    मैंने देखा तू छतों पर दौड़ रही है

    मैंने देखा तू हवा से जूझ रही है

    तेरे होंठों पर शीत लहू-लुहान था

    मैंने तुझे देखा खंड-खंड होती, मरण में नाचती,

    तड़ित से भी सुंदर तू,

    श्वेत गवाक्षों में रक्त के छींटे।

    दो

    तू पकते वसंत का आह्लाद बिखेर रही थी

    और हमें जीने की अधूरी पुलक से नफ़रत थी।

    तू बोली, 'लतर ही सही, नैश-चट्टानों से लतर का

    लिपटना : वंशहीन अस्ति, जड़विहीन मुख।

    'सूर्य का पंजा अन्तिम गवाक्ष को नोंच रहा है,

    पर्वत में तिरोहण बेहतर है, इस गाँव से बेहतर।

    'यह हवा ही सही...।'

    तीन

    वह हवा हमारी स्मृतियों से अधिक ताक़तवर थी,

    बनी-ठनी मूढ़ता, चट्टानी क्रंदन

    और तू लपटों के सामने निकल पड़ी

    तेरा सिर मढ़ा हुआ चौकोर

    तेरे हाथ चिरे हुए

    और सब मृत्यु की तलाश में

    तेरी हरकत के उन्मादी ताल पर

    वह दिन था तेरे स्तनों का दिन

    छा गई तू आख़िरकार

    मेरे मस्तिष्क से अनुपस्थित।

    चार

    जागा तो देखा—बरसात। मेरे पास लेटी ऊसर,

    दूव, तुझे हवा बेध रही है।

    मैं एक छत पर हूँ, मौत की खंदक में।

    हरे भरे गाछ-कूकर थरथरा रहे हैं।

    द्वार पर अचानक तेरी बाँह उठी,

    मुझको दीप्त कर युग-युगांत।

    अँगारों का पुरवा, दूव तू पल-पल

    जन्म ले रही है, देखा

    पल-पल मरती हुई।

    पाँच

    यह कैसी क्लांतता तुझ पर, नदी

    भूमिगत, ये कैसी टूटती शिरा तुझमें,

    गूँज रहा तेरा प्रपात?

    उठी बाँह सहसा भमकी।

    पीछे हटा तेरा मुख।

    कैसा यह गहराता कुहासा जो मुझसे

    छीन रहा तेरी छवि?

    धूमिल उपत्यका, मृत्यु की सरहद।

    मूक बाँहें तुझको गुहारती

    उस पार की वृक्षावलि।

    छ:

    कीट-पतंगों की छत, सिलहुट विवर्ण,

    कपड़ों पर दीपक के विष के निशान,

    पसरी हुई तू, मुख दूर

    पछाड़ खाती नदी से भी दूर।

    छिन्न-भिन्न जीव से पैदा अमोघ जीव,

    शीत की मशाल से भिदी हुई उपस्थिति,

    प्रेक्षक, मैंने तुमको पाया हमेशा मृत,

    दूब, मैं फ़िनिक्स हूँ पहरे पर

    शीत में।

    सात

    देखा दूव पसरी हुई है।

    उसी की आहट है माँसल अवकाश में

    अवकाश भरा है ब्लैकप्रिंस के जबड़ों से—

    दूव की हथेली-माँसहीन हड्डी का भूरा जाला

    उस विराट् मकड़े से हो जाता आलोकित।

    आठ

    इस साँझ तेरा मुख धरती से जगमग,

    देखा मैंने तेरी आँखों का कदाचार

    और मुख शब्द का अर्थ ही नहीं रहा।

    चीलों से आलोकित अंतर्हित सागर—

    यह एक बिंब है।

    लेकिन तुम ऐसी सर्द गहराई में हो

    जहाँ बिंबों की गुंजाइश नहीं है।

    नौ

    धँसी जा रही घाटी मुख में इसी वक़्त,

    पैरों की उँगली हैं बीहड़ इसी वक़्त,

    आदिम सिर घास में उड़ा इसी वक़्त,

    बर्फ़-भेड़ियों के गले रँगे इसी वक़्त,

    मौत पर, मुसाफ़िर पर आँख झपझपाती है

    इस हवा इस जल इस शीत इसी वक़्त।

    दस

    किसी भी लपट से अटकती नहीं मूल की उपस्थिति,

    गुप्त शीत की वाहक, जीवंत,

    रक्त में छलछलाती, बढ़ी आती,

    वहाँ जहाँ आकर कविता के पुर्जे उड़ जाते हैं।

    इस तरह तेरा प्रकट होना, मूक सरहदों पर, ज़रूरी था

    अग्नि परीक्षा का होना, मृतकों के लोक में

    जहाँ तेरी आभा सहसा बढ़ जाती है

    सुंदर तू, तेरी हँसी मृत्यु से ओत-प्रोत!

    साहस है मुझे अब मैं तुझसे मिल सकता हूँ

    सह सकता हूँ तेरी हरकत की कौंध।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 449)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : यीव बोनफ़्वा
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY