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पिया परदेसवा का गये

piya pardesva ka gaye

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

पिया परदेसवा का गये

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

और अधिकजगजीवन मिश्र ‘जीवन’

    भूखेन लड़िकवा रोवइँ का हम खवाई

    पिया परदेसवा का गये करन कमाई

    नीकी नाहीं लागै हमका घर सून दुअरिआ

    एकउ टका तीर है नाई कइसे जाउँ बजरिया

    छेड़िहइँ खूब सोहदवा हमका जो हम करी मँजूरी

    नमकुइ रोटी मिलि है तब हूँ हमका बड़ी सबूरी

    रोजु-रोजु भूखे उनका कैसे सोवाई

    पिया परदेसवा का गये करन कमाई

    अबकी तोरे बिन पानी के खेतउ सबइ सुखाने

    देखि बिटे्उनी मोहरे पर मनचलवा गावैं गाने

    पइसा नाही तब तौ औरउ आवति खूब बेरामी

    उधरा माँगे ते अठिलावइ सेठिउ बड़ा हरामी

    अम्मउ केरी ना आयी हइ अबकी दवाई

    पिया परदेसवा का गये करन कमाई

    नाइ बचे हइँ कपड़ा लत्ता ना हइ घर मा रासन

    कोई आवइ तब का करिबै बिन रासन बिन बासन

    टूटो हइ छप्परु हम घर की कइसे छति बनवाई

    चारि दिनन के बादिम तौ घर का अइहैं पहुनाई

    अगिले महिनवा बिटिय’कि हुइ है सगाई

    पिया परदेसवा का गये करन कमाई

    जानइ कौन पाप हम कीन्हेंन विधना दीन्ह गरीबी

    अइसा फूटो करम हमारो धोखा दिहिन करीबी

    अपनेउ तौ सब गैर बने हैं कहि की आस लगाई

    तिथि परबी सब अइसइ हुइ गइ उनका यादि आई

    आये नाहीं जल्दी तौ महजनवउ सताई

    पिया परदेसवा का गये करन कमाई

    भूखेन लड़िकवा रोवइँ का हम खवाई

    स्रोत :
    • पुस्तक : सिरका (अवधी गीत संग्रह) (पृष्ठ 42)
    • रचनाकार : जगजीवन मिश्र ‘जीवन’
    • प्रकाशन : भगवत मेमोरियल इंटर कॉलेज समिति, मिश्रिख, सीतापुर
    • संस्करण : 2015

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