एक बेर फेर
पिताक सोझाँ मे
वर्त्तमान अर्थहीन
आ भविष्य अनिश्चित छनि
पैरक फाटल बेमाय जकाँ
खेतो फाटि गेल
एक बेर फेर प्रकृति रुख मोड़लक
आ वर्षा नहि भेल
ओ परिवारक पैघ बेगरताक सोझाँ मे
बड़ छोट महसूस करैत छथि अपना केँ
घरक खर्चा/स्कूलक फीस
लगानक बोझ
बेटीक भावहीन आँखि
सबहक सोझाँ मे
लगैत छथि एहि बेर/परास्त भऽ जएता
शून्य आकाश दिस तकैत तकैत
हुनकर आँखियो शून्य बुझना जाइत अछि
ओ सब दिन जाइत छथि खेतक आरि पर
आ टांट परल धरती देखि कऽ
घुरि अबैत छथि
ओ सब दिन इन्द्र सँ करैत छथि प्रार्थना
किएक पिताक आँखि मे एखनो
पानिक देवता इन्द्रे अछि
वर्षा दियऽ/वर्षा दियऽ
दरारि फाटल खेत केँ
पानि सँ पोहपीत कऽ दियऽ
जे हमर जीवनक आधार अछि
सुखक संसार अछि
मुदा कोनो प्रतिक्रिया नहि देखा पड़ैत अछि केम्हरो
कोनो परिवर्त्तन नहि बुझना जाइत अछि कत्तौ
निराशा आगू/आ आशा पाछू छूटल जाइत अछि
ट्रेनक खिड़की सँ देखाइत
कोनो बाहरी सीन जकाँ
खुट्टा पर बान्हल बड़द जकाँ
पिता बेबस भेल जाइत छथि
समय अछि कि तैयो
दरकल अयना जकाँ
दू भाग मे
पिता के बाँटि रहल अछि
बिना कोनो दोष केँ
मालक घर मे घूर तर
उघारे देहे
फाटल धोती पहिरने
गमछा सँ धुआँ करैत
बाबू अपना जीवनक गाड़ी
आगू ठेल रहल छथि
हुनका जीवनक आधा हिस्सा
एहि माल घरक मचान पर
मच्छर हौंकेत बीति गेलनि
ओ खेतक माटि मे
अपन पसेना मिला देलनि
तखन उपजल/अन्नक पुष्ट दाना
जे आधार अछि
हमरा सबहक जीवनक
ओ अपना जीवन मे
भरि पेट अन्नक सिवा
किछु नहि चाहलनि
किछु नै लेलनि
सब दिन जोहैत रहलाह
हमरा सबहक लेल छाहरि
हमरा सबहक सुख
अपना जीवनक/सब सुख-शान्ति
समाहित कऽ देला
हमरा सबहक एक-एक क्षणक हँसी पर
अपना जीवन मे बाबू
कोनो शहर नै गेला
कोनो नगर नै देखलनि
तीर्थ यात्राक लेल/बोरा झोरा नै ओरियेलनि
हुनक तीर्थयात्रा
हमरा सबहक स्कूल सँ
कालेज तकक सीढ़ी रहल
ककहरा सिखबैत बाबू
अपना जीवनक
सब अनुभव/सब तजुर्बा
सिखा देलनि
हुनक जीवनक आदर्श
केवल कर्म रहल
हुनका मुँह पर कहियो
हँसी नहि देखलक कियो
हुनका आँखि मे
नोरो नहि आयल कहियो
ओ भाव-अभाव सँ ऊपर रहला
सब दिन/सब घड़ी
बड़क गाछ जकाँ चतरल
बाबुक स्नेह
सब दिन हमरा सब केँ
शीतल छाहरि दैत रहल
आ ओ स्वयं
अपने भीजैत रहला
पानि-बुन्नी/शीत-रौद मे
आ मिलबैत रहला
अपना देहक
एकहक बुन्न खून/माटि मे
बिना कोनो रोष केँ
बिना कोनो दोष केँ
2.
पिता चुप्प छथि
साधनारत पुरुष जकाँ
लक्ष्य पर ध्यान लगौने
नदीक पानि जकाँ गतिशील
अपना आप सँ संघर्ष करैत
हुनका कैलेन्डर मे
दिन-राति/भोर-साँझ
सबहक मतलब होइत छै समय
निरन्तर गतिशील रहयबला
जे रुकैक नाम नहि लैत अछि
कहियो
सुख मे/दुःख मे
हर्ष मे, विषाद मे
चलैत रहैत अछि
आगू, बस आगू
पिता चुप्प छथि
सब परिवर्तन पर
ओ कोनो घटना केँ
बिना हिलने-डोलने
बहा लैत छथि/बड़ असानी सँ
अटल शिला जकाँ
आ चलैत रहैत छथि ओहिना
जेना किछु भेले नै होइ
ओ दिनभरि खटैत रहैत छथि
घर मे/खेत मे/कारखाना में कत्तौ
आ निर्विरोध बहैत रहैत अछि
माथक घाम
पैर दने
ओ बेटाक पढ़ाइ
बेटीक बियाह
घरक खर्चा
जोड़ैत-जोड़ैत
तार-तार भऽ गेल छथि
मुदा तैयो
ओ पुछैत छथि
सबदिन/सबहक हाल
सबहक इच्छा
सबहक आवश्यकता केँ
पिता केँ पता नै छनि
अपन स्थिति/आवश्यकता
ओ बिसरि गेल छथि
अपन सुख/अपन दुख
सबहक भावना केँ बचबैत-बचबैत
- पुस्तक : समयसँ संवाद करैत (पृष्ठ 32)
- रचनाकार : कामिनी
- प्रकाशन : स्मृति प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स
- संस्करण : 2008
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