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पेड़ के नीचे छाँव नहीं है

peD ke niche chhaanv nahin hai

श्रेया शिवमूर्ति

श्रेया शिवमूर्ति

पेड़ के नीचे छाँव नहीं है

श्रेया शिवमूर्ति

और अधिकश्रेया शिवमूर्ति

    शहरों में पार्कों का चलन है,

    हर दूसरी गली में एक पार्क ज़रूर देखने को मिलेगा

    उनकी देख-भाल अच्छे से हो रही है

    महीने में एक बार पूरे पार्क के अलग-अलग भागों में पानी भरा जाता है

    पौधरोपण साल-दो साल में होता है और जो पौधा बीमार हो

    जो मुरझा रहा हो उसकी खोज-ख़बर उसके मरने पर ली जाती है

    अंत्येष्टि कूड़ेदान में होती है

    ऐसी लाशों को ठिकाने लगाने के लिए कर्मचारी हैं

    जो हर दिन बड़ी तल्लीनता से पार्क की सफ़ाई करते हैं

    लेकिन पौधों को खाद-पानी तो महीने—दो महीने पर ही हो पता है

    सब के बीच पार्क का सबसे ऊँचा पेड़ सीना ताने शान से खड़ा है

    मगर उसकी आड़ में एक परिंदा भी अपना सर नहीं छुपा सकता

    ऐसे चार-छः और पेड़ हैं, कद में कम ही सही मगर पार्क की शोभा बढ़ा रहे हैं

    जिनकी गिनती तो संभव है मगर उपस्थिति का औचित्य नहीं है

    क्योंकि ये नाम के पेड़ हैं…

    इनके तने-शाखाएँ पार्क की जगह तो घेरे हैं

    लेकिन इन पेड़ो के नीचे छाँव ढूँढ़ने से भी नहीं मिलती

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रेया शिवमूर्ति
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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