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ओझराहटि

ojhrahati

विजेता चौधरी

अन्य

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विजेता चौधरी

ओझराहटि

विजेता चौधरी

और अधिकविजेता चौधरी

    ओझरायल छी

    भोरसँ साँझ धरिक ओझराहटिमे

    हमर गृहस्थ पृथ्वी

    अहाँक गृहस्थ आकाश

    महीना भरिक सरंजाम सामानक

    फेहरिस्त

    हमर उपराग

    अहाँक उपहासक पिरामिड केर ऊँचाइमे

    जिनगी जेना निरस्तताक प्रतिबिम्ब बनिकऽ रहि गेल

    भानस घरक क्षेत्रफल

    ऑफिसक फाइलमे ओझरायल दिनचर्याक बीच

    परिस्थितिक भँवरमे गोलमोल घुमैत

    समयक रथ

    कतहु बहुत दूर तँ ने निकलि गेलैक

    घड़ीक सुइयाक संग बढ़ैत जीवनक रफ्तारमे

    कतहु बिसरि तँ ने गेलहुँ

    जीवनक आनन्द

    पारिवारिक सौन्दर्य-शास्त्र

    दाम्पत्यक लय

    तेँ, हे हमर जीवनसंगी

    निकलिकऽ समयक एहि क्रूर दासत्वसँ बाहर

    एक निमेष हेतु

    निर्जन एहि काननमे

    आउ रचाबी रास

    वंशीबट केर सघन छाहरिमे बैसि

    मात्र पलभरि लेल

    अहाँ बनि जाउ कृष्ण हम अहाँक राधिका

    अहाँ विश्वामित्र हम अहाँक मेनका।

    स्रोत :
    • पुस्तक : धाराक विरुद्ध (पृष्ठ 44)
    • रचनाकार : विजेता चौधरी
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2019

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