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नियति

niyti

अनुवाद : सरिता शर्मा

यानिस रित्सोस

अन्य

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और अधिकयानिस रित्सोस

    अंतहीन भटकन के बाद, वह हमेशा लौट आएगा

    उसी जगह और स्थल पर (जिसे वे नियति कहते हैं)।

    प्रवेशद्वार की दीवार में मेहराबदार आले में रखा

    फूलदान,

    उसके पीछे टिकी चाबी। प्रस्थान बिंदु हर बार यही होता है

    बदलावों की मोटी परतों के तले

    चाबी को भूल जाने और कभी खोजने की कोशिश करता हुआ

    या कभी-कभी उसे सच में भूल जाता है। तभी अचानक,

    गली में किसी की मुद्रा, उसकी चाल,

    उसे फिर से डुबो देगी रहस्य में। कुछ दूरी पर,

    साँझ के समय, वही आवाज़ सुनी जा सकती है एकसाँ

    एथलेटिक खेलों के बाद

    स्टेडियम के सज्जागृह से।

    स्रोत :
    • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 68)
    • रचनाकार : यानिस रित्सोस
    • प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
    • संस्करण : 2020

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