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मेरे आस-पास सब कुछ उदास है

mere aas paas sab kuch udaas hai

आकाश वर्मा

अन्य

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आकाश वर्मा

मेरे आस-पास सब कुछ उदास है

आकाश वर्मा

और अधिकआकाश वर्मा

    मेरे आस-पास सब कुछ उदास है

    नहीं...नहीं...

    सब कुछ के आस-पास भी सब कुछ

    उदास है

    जैसे फूलों के पास उदास हैं पत्तियाँ

    पत्तियों के पास ऊँचे-ऊँचे पेड़

    और पेड़ों के पास उदास हैं

    चह-चहा कर चुप हो गए पँछी

    ऐसे ही

    आसमान से उदास होकर झर जाता है बादल

    बादल के पास उदास हो जाता है हिम

    हिम की चुप्पी पर उदास हैं पहाड़

    पहाड़ों से उदास होकर बह जाती है नदी

    धीरे से

    नदी से अधिक गहरा उदास है लहरदार समंदर

    यह बड़ी विचित्र बात है कि

    पौधों के पास उदास हैं बीज

    बीजों को गति देते उदास हैं खेत

    खेतों से पास उदास है पानी

    और

    पानी के पास भटकता हुआ इंसान भी

    उदास है

    इंसानों के पास ज़्यादा उदास है इंसान

    यह अबूझ है कि यह है भी

    या नहीं है उदासी

    पर इसका कारण क्या हो सकता है

    तलाश में कुछ नहीं मिला मुझे आज भी

    पर लगता है कि इसका कारण है चील

    जो कई मील ऊपर से देख लेती है भोजन जैसी चीज़

    गिद्ध भी हो सकता है उदासी का कारण

    जिसने घर के पीछे बनाया था घोसला

    मेरे बचपन में

    या शायद सूखता हुआ सुरहा ताल भी हो सकता है

    जहाँ साइबेरिया के परदेशी बसते थे जाड़ों में

    रेवती का दह हो सकता है

    या फिर केदारनाथ सिंह के गाँव का भागड़ नाला

    जो सदियों पहले सरयू और गंगा के पानी को मिला देता था

    उनके संगम से पहले

    ये सब भी तो उदास होकर लुप्त हो रहे हैं, शायद

    कुछ भी

    हो सकता है कारण उदासी का

    और कुछ नहीं भी

    पर मैं उदास हूँ कि

    मेरे आस-पास सब कुछ उदास है

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकाश वर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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