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दिल्ली मे बसल हमर गाम

dilli mae basal hamar gaam

विवेकानन्द ठाकुर

अन्य

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विवेकानन्द ठाकुर

दिल्ली मे बसल हमर गाम

विवेकानन्द ठाकुर

और अधिकविवेकानन्द ठाकुर

    मोन मे बैसल दिल्ली

    करेज मे पैसल हलदिल्ली

    नवतुरिया

    गोट-गोट क’

    आजिज भ’ क’

    त्यागल माटिक मोह

    तोड़ल गामक छान

    धैल पश्चिम मुहक बाट

    ओही दिस एखन दिगबल

    ओम्हरके लछमी जागल

    आगाँ गेल

    पाँचटा-सातटा

    थाहि-थाहि

    पाछाँ लागल

    धर्रोहि

    नवतुरिया

    गोट-गोट क’

    आजिज भ’ क’

    पुरूख मदे

    निमोछिया-बयसाहु

    रोगियाह-देहखसाओन

    बे-लगाम

    रहि गेल

    आब

    ने बाँसक उकन्नन

    ने जजातक बिद्दति

    ने कोनो अकूबा

    ने पिहकारी

    ने ठहक्का

    सुन्न-सुन्न

    सभ अलंग सुन्न

    दिल्लीक जाल

    महाजाल

    ओझरा-ओझरा

    सभ रहि गेल

    असालतन

    नीचाँ

    प्लेट धोआइ

    ऊपर

    पूजा-पाठ

    सभ काज मे भिड़ी गेल

    दिन हो कि राति

    सभ अलबत्त खटइए

    बैसाखक दुपहरियो मे

    आब केओ नहि सुतइए

    संघर्षक धाह मे भेल ध्वंस

    पोसा मनोविकार

    मुह पर आयल श्रमक सुरखी

    जेबी मे कखनो सय-कखनो हजार

    जेबी भरैत गेलइ

    गोड़ी बैसैत गेलइ

    वर्ण-वर्ण मे विखंडित

    बारहबरना

    हमर गाम

    भ’ गेल

    एकबरना

    पालम गाँव मे

    दिल्ली मे बसल

    हमर गाम

    पालम गाँव मे

    ओत्तहु आब

    गमैया भोज होइए— बारहबरना

    तीन क्विंटल

    चाउर लगइए

    सभ एक्के पाँत मे खाइए

    से गामो आबि बजइए

    स्रोत :
    • पुस्तक : चानन घन गछिया (पृष्ठ 117)
    • रचनाकार : विवेकानन्द ठाकुर
    • प्रकाशन : विवेकानन्द ठाकुर
    • संस्करण : 2011

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