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क्या तुम

kya tum

सुरिंदर धंजल

सुरिंदर धंजल

क्या तुम

सुरिंदर धंजल

और अधिकसुरिंदर धंजल

    क्या तुम

    क्रांतिकारी क़ैदी और मुलाक़ाती पत्नी के बीच

    शीशे की दीवार पर

    दोनों के स्पर्श के लिए तड़पते

    हाथों की भाषा पढ़ सकोगे?

    इस मुलाक़ात में

    जेल में विवश, असहाय सिपाही की

    आँखों में तैरते आँसुओं की भाषा

    समझ सकते हो?

    क्या तुम

    इंद्रधनुष में समाहित

    रोशनी की किरण देख सकते हो?

    पुस्तकों के एक-एक अक्षर में शामिल

    रचनाकार का रक्त, पसीना और आँसू

    देख सकते हो?

    क्या तुम

    तवे पर पक रही ताज़ा रोटी और

    उलटे तवे की कालिख का संबंध

    समझ सकते हो?

    काली अँधेरी रात, बिजली की चमक

    बरसात की झड़ी और काँटे की पीड़ा का

    संबंध समझ सकते हो?

    क्या तुम

    कच्ची दीवार की परतों

    रज़ाई में भरी कपास का समूह

    और पाँवों की बिवाइयों-सा

    फट सकते हो?

    क्या तुम

    प्रेमिका के गालों पर चमकते पसीने के दर्पण में

    अपना चेहरा देख सकते हो?

    क्या तुम

    किसी क्रांतिकारी माँ की तरह

    व्यंग्य और शोक की

    फाँसी पर लटक सकते हो?

    बच्चे की तोतली बातों के

    माँ जैसे उत्तर दे सकते हो क्या तुम?

    क्या तुम

    समझ सकते हो

    कि जानवर अपने बच्चों को

    सूँघकर कैसे पहचान जाता है

    मछली, कछुए और पक्षी

    बरसों बाद, बच्चे देने के लिए

    उसी स्थान पर क्यों लौटते हैं?

    क्या तुमने

    ख़ुद को कभी ख़त लिखा है?

    क्या तुम्हारे मन की किसी टहनी पर

    क्षमायाचना और क्षमादान जैसे

    पुष्पकमल खिले हैं?

    यदि नहीं

    तो तुम अभिमान के दलदल में लथपथ

    क्रांति की चर्चा मत किया करो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 313)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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