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कटिंग चाय

kating chaay

श्रेया शिवमूर्ति

श्रेया शिवमूर्ति

कटिंग चाय

श्रेया शिवमूर्ति

और अधिकश्रेया शिवमूर्ति

    नुक्कड़ पर चाय पीने वालों का जमावड़ा आम बात है

    लेकिन चाय पर चर्चा ख़ास हो जाती है

    मैं कटिंग चाय हूँ

    मैंने दोस्तों की गपशप सुनी है

    सहकर्मियों की बुराइयाँ, लेन-देन,

    हेर-फेर, नफ़ा-नुकसान की अनगिनत नोक-झोक, बातचीत, कानाफूसी

    सबका आँखों देखा हाल सुना सकता हूँ

    मैं कटिंग चाय हूँ

    जिसे लोग फटाफट गटक जाते हैं

    जिसके हक़ में एस्थेटिक्स के लिए

    इठलाते कुल्हड़ों की फ़रमाइश बमुश्किल ही होती है

    दिन में ना जाने कितनी ही बार कैमरे के भी दर्शन हो जाते हैं

    सोशल मीडिया पर जलवा है मेरा

    फिर भी मेरी सेहत का ध्यान कोई नहीं रखता

    कटिंग चाय को धड़ल्ले से पेपर कप में पीते हैं लोग

    जहरीली प्लास्टिक की थैलियों में बाँधकर

    कभी मुझे ऑफ़िस ले जाया जाता है तो कभी रैलियों में

    पेपर कप की पतली प्लास्टिक की परत में

    गरमागरम चाय के साथ लोग गटक हैं बीमारियाँ

    मेरा नाम ही कटिंग चाय है, बचत से मेरा नाता है

    कभी पैसे कम है तो कटिंग चाय हो जाती है

    कभी समय कम है तो कटिंग चाय हो जाती है

    छोटा मुँह बड़ी बात क्या ही बोलूँ

    कुल्लहड भी सारे के सारे फ़ायदेमंद नहीं हैं

    मुझे क्या फिर भी आपको बतलाता हूँ

    समझदारी से अपने चाय के बर्तन चुनें

    चलता हूँ, ना जाने कितने नुक्कड़ों की टपरियों पर

    ‘छोटू दो कटिंग चाय’ बोलकर लोग मेरी राह देख रहे होंगे

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रेया शिवमूर्ति
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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