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जवान शहर

javan shahr

आकाश वर्मा

अन्य

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आकाश वर्मा

जवान शहर

आकाश वर्मा

और अधिकआकाश वर्मा

    एक था शहर लगभग बूढ़ा-सा

    एक दिन उठा और अपनी जगह से निकल गया

    रास्ते में नदी मिली, ठहरा गया

    नदी के पास

    ढेर सारे पेड़ थे— फूल थे

    खेत और खलिहान भी थे बड़े-बड़े

    और थी एक तितली, अपने कुटुम्ब के संग

    कुछ लोग भी थे उसके पास

    शहर के पास नदी नहीं थी

    बस पैर थे— गतिशील पैर

    वह ठहरा— बैठ गया नदी के किनारे

    शहर ने बड़े गौर से देखा तितली को

    हरे-भरे पेड़ देखे, रंग-बिरंगे फूलों को भी देखा

    और सबसे ज़्यादा गौर से देखा उन लोगों को

    फूल, पौधों, खेत और पेड़ों को सींचते हुए

    शहर तो शहर

    शहर के साथ पहुँची उसकी आदत

    और फिर उसकी पहचान भी

    सबसे पहले डर के मारे तितली उड़ी

    फिर गए पेड़, फिर फूल, फिर

    उसके बाद नदी कहीं खो गई

    इस भगदड़ में

    वे कुछ देखे गए लोग भी कहीं चले गए

    बूढ़ा-सा

    शहर अब जवान हो चुका था

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकाश वर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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