Font by Mehr Nastaliq Web

इसारा करउ

isara karau

रोजु समुहें ना सबके पुकारा करउ

दिल माना करइ तउ इसारा करउ

मौज की यह घड़ी फिरि मिलइ ना मिलइ

फूल वाली बगेवा खिलइ ना खिलइ

अइसा होवइ हमहू भरमि जाई अब

तुम तिरीछे हमका निहारा करउ

रोजु समुहें ना सबके पुकारा करउ

अइस दीन्हेउ जखम कुछइ कहि सकेन

हम खुदउ तोहरे बिन यार रहि सकेन

बीच सागर मा नइया भँवर मा फँसी

छटपटाहट है जल्दी किनारा करउ

रोजु समुहें ना सबके पुकारा करउ

प्यार महियाँ मिटइ मा हमइ गम कहाँ

जो भवा हइ बताओ वहइ कम कहाँ

हाँथ भींचउ मौका मिली तउ मिलब

ब्यर्थ महियाँ गुस्सा निकारा करउ

रोजु समुहें ना सबके पुकारा करउ

विघ्न बाधा बड़ी ते बड़ी आएँगी

कबहुँ अपने मिलइ की घड़ी आएँगी

अब चलिबै बुलाए पिछौरे का हम

थोरे दिन और तुमहूँ गँवारा करउ

रोजु समुहें ना सबके पुकारा करउ

फिरि मिलइ के बदे हरि जगह ठौरु हइ

हुइबै हम और तुम ना कोई औरु हइ

याक तारीफ हमरी अगर तुम करेउ

हमहू कहिबै कि जल्दिम दुबारा करउ

रोजु समुहें ना सबके पुकारा करउ

स्रोत :
  • पुस्तक : सिरका (अवधी गीत संग्रह) (पृष्ठ 41)
  • रचनाकार : जगजीवन मिश्र ‘जीवन’
  • प्रकाशन : भगवत मेमोरियल इंटर कॉलेज समिति, मिश्रिख, सीतापुर
  • संस्करण : 2015

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY