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इंतज़ार नहीं कर सकते

intzar nahin kar sakte

मोना गुलाटी

मोना गुलाटी

इंतज़ार नहीं कर सकते

मोना गुलाटी

और अधिकमोना गुलाटी

    अब हम वक़्त का इंतज़ार नहीं कर सकते :

    नहीं कर सकते

    अनंतकाल को डुबो देने वाली प्रतीक्षाएँ : हमारे कंधों के

    ऊपर झुक आया है आकाश और चारों तरफ़

    बिखर गई हैं आँखें; हाथ और जिह्वाएँ...

    रक्त का स्वाद कभी भी नहीं होता स्वप्नजाल

    वह धमनियों में दौड़ती ज्वाला का हवनकुंड है जिसमें

    बार-बार होम होती हैं

    यंत्रणाएँ और हाथ।

    दिगंत से होने वाले इशारे

    अब धागों से बाँधकर नहीं रख सकते मेरे जिस्म

    के फूटते हुए कवच को : अब नहीं बाँध सकते रक्त के स्वाद को

    कोई भी ठोस पारदर्शी

    या तत्त्वभंगी आवरण।

    अब वक़्त का इंतज़ार नहीं किया जा सकता :

    अब होगा विस्फोट

    फूटेगा प्रवहमान जाज्वल्यमान

    ज्योतिपुंज रक्तिम :

    होगा आकाश का रंग संदूरी : सुबह होगी तब

    या शाम :

    इसे जानने के लिए भी,

    तुम प्रतीक्षा मत करना : बिना

    उत्सुकता लिए डूब जाना

    रक्त के स्वाद में : हो

    ज्योतिपुंज प्रकाशमान

    सुमधुर : मृदु और आप्लावित!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सोच को दृष्टि दो (पृष्ठ 89)
    • रचनाकार : मोना गुलाटी

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