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स्कूली बच्चों के बीच

skuli bachchon ke beech

अनुवाद : सरिता शर्मा

विलियम बटलर येट्स

अन्य

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विलियम बटलर येट्स

स्कूली बच्चों के बीच

विलियम बटलर येट्स

और अधिकविलियम बटलर येट्स

    1.

    मैं लंबे चौड़े स्कूली कमरे में पूछताछ करता चल रहा हूँ;

    सफ़ेद कनटोप पहने एक नम्र नन जवाब दे रही है;

    बच्चे हिसाब लगाना और गाना सीख रहे हैं

    पुस्तकें पढ़ने और इतिहास जानने के लिए अध्ययन कर रहे हैं,

    कपड़े काटना और सीना, हर चीज़ में सफ़ाई रखना

    सर्वाधिक आधुनिक तरीक़े से—बच्चों की आँखें

    क्षणिक आश्चर्य में निहारती हैं

    2.

    साठ साल का आम आदमी होने पर भी

    मैं बुझती आग के सामने झुकी

    लेडा जैसी आकृति और उसकी सुनाई

    फटकार या ऐसी ही किसी मामूली घटना

    के क़िस्से कहानी के सपने देखता हूँ

    जिसने बच्चों के खेल को त्रासदी में बदल दिया—

    लग रहा था हमारे दो स्वभावों का मेल

    युवा सहानुभूति से एक गोले में

    वर्ना, प्लेटो की दृष्टांत में फेर बदल करें तो

    खोल की जदी और सफ़ेदी में हो गया था।

    3.

    और मैं उस दुःख या क्रोध के आवेश के बारे में सोचते

    वहाँ इस-उस बच्चे को देखता हूँ

    और हैरान हूँ कि वह उस उम्र में इतनी स्थिर थी—

    यहाँ तक कि हेलन की भी हो सकती है

    हर आम आदमी जैसी तक़दीर—

    और उस जैसा गाल या बालों का रंग,

    और फिर मेरा मन कल्पना में डूब जाता है

    वह मेरे सामने ज़िंदा बच्ची के रूप में खड़ी है।

    4.

    उसकी वर्तमान छवि मन में तैरती है—

    क्या इटली के कलाकार की उँगली ने उसे बनाया था

    खोखले गाल ने मानो हवा पी ली हो

    और माँस की जगह जैसे सायों को मिला दिया हो?

    और हालाँकि मैं कभी बेहद ख़ूबसूरत नहीं था,

    कभी मैं भी आकर्षक हुआ करता था—बहुत हुआ

    बेहतर है उस मुस्कान पर मुस्कुराया जाए, और दिखाया जाए

    कि एक आरामदायक-सा बिजूका है।

    5.

    कैसी युवा माँ ने गोद में एक आकृति लिए हुए

    पीढ़ी के विश्वास को धोखा दिया था,

    और जिसे बचने के लिए सोना, चीख़ना, संघर्ष करना चाहिए

    जैसा कि स्मरणशक्ति या दवा तय करे,

    क्या उसने उस आकृति को देखा होगा

    क्या उसने सोचा होगा कि उसका बेटा,

    साठ साल या उससे ज़्यादा उम्र का होगा,

    या उसके जीवन की अनिश्चितता

    उसके बेटे के जन्म की वेदना का इनाम है?

    6.

    प्लेटो ने प्रकृति को सिर्फ़ फेन माना

    चीज़ों पर आत्मिक प्रतिमान बताया;

    सैनिक अरस्तू कंचे खेला करता था

    अपने गुरु के मार्गदर्शन में

    विश्व-प्रसिद्ध महान गुणों से युक्त पाइथागोरस

    छूता था वायलिन की छड़ या उसके तारों को

    प्रसिद्ध कलाकार के गाने को लापरवाह वाग्देवी ने सुना

    पक्षी को डराने के लिए पुरानी छड़ियों पर टँगे पुराने वस्त्र।

    7.

    नन और माताएँ—दोनों छवियों की पूजा करती हैं,

    लेकिन मोमबत्ती की वह रोशनी ऐसी नहीं है

    जो माँ के सपनों को सजीव कर दे,

    बल्कि संगमरमर या कांस्य को आरामदायक बनाती है।

    और फिर भी वे भी दिल को तोड़ देती हैं—वे आकृतियाँ

    जो जुनून, शील या स्नेह और

    स्वगीय शोभा के सब प्रतीकों को जानती हैं-

    वे मनुष्य के उद्यम की स्वयंजनित उपहासक हैं;

    8.

    श्रम वहाँ खिल या नाच रहा है जहाँ

    शरीर को आत्मा की ख़ुशी के लिए कुचला नहीं जाता है।

    ही सुंदरता उसकी ही निराशा से उपजी है,

    ही रात भर की मेहनत से धुँधली आँखों वाला ज्ञान मिलता है।

    अरे गहरी जड़ों वाले शाहबलूत के हरे-भरे पेड़,

    तुम पत्ती हो, बौर हो या तना हो?

    अरे संगीत की धुन पर झूमते, आशान्वित दृष्टिपात,

    नृत्य से नर्तकी को हम कैसे भिन्न कर सकते हैं?

    स्रोत :
    • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 34)
    • रचनाकार : विलियम बटलर येट्स
    • प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
    • संस्करण : 2020

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