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एक हादसे पर टिकी हुई है हमारी दुनिया

ek haadase par tikee huee hai hamaaree duniya

ब्रम्हा के अंडे और शताधिक मनुओं से पूर्व

आदम और हव्वा के कहानियों से भी पहले

एडम की कल्पना से बहुत पहले

उतने पहले जितने के एक चौथाई से भी बहुत कम

हिस्से पर आया मनुष्य, से पहले बहुत पहले

उससे भी बहुत पहले जब जन्मा कोई जीव-युगल

जब एक ही था वह सजीव, से भी पहले

उन पहले से भी पहले

अस्तित्व में है यह दुनिया और यह पृथ्वी–

के समान अनेक सूर्य-पृथ्वी-चंद्रादि ग्रह

इतना पहले कि सभ्यता के इतने विकास के बाद भी

हम लगभग और संभवत: में उसका अस्तित्व मापते हैं

और कितनी निश्चितता के साथ हम

इकट्ठा करते हैं जीवन

कितना भरोसा करते हैं होने पर

कितनी उम्मीद से देखते हैं कल को

कितने स्वप्न रचते और कितना निश्चित समय पाते

कितना निश्चित?

कितनों के जैसे कितने आए

कितनों के जैसे कितने गए

हमारे जैसे भी रहेंगे हमारे जितना ही

एक दिन रुक जाएँगे हम

पर धरती तब भी घूमती रहेगी शायद

स्पेस में लड़खड़ा रही पृथ्वी

एक मद्धिम कोमल नृत्य पर टिकी

अति संवेदनशील ढंग से निर्भर

उसी गुरुत्वाकर्षण के अनिश्चितता पर

हम कल्पनाएँ साध रहे

अस्तित्व बस इतना ही है हमारा निरर्थक।

एक कॉस्मिक बटरफ़्लाई इफ़ैक्ट जितनी ही है

कि यहाँ कुछ किया वह कितनी दूर जाकर क्या हो गया

एक सूक्ष्मातिसूक्ष्म परिवर्तन

एक महाविस्फोट से जुड़ गया जाकर

और हम सोचते हैं हमारा किया हम ही भोगेंगे,

हमारे बनाए हुए झूले पर घूमते यात्री सुरक्षित नहीं

पृथ्वी झूल रही है जिस ऑर्बिट झूले पर

वह भी एक हादसा भर है

एक हादसे पर टिकी हुई है हमारी दुनिया;

बस एक हादसे से बनी है ये दुनिया

एक हादसे पर टिका हुआ है जीवन

वह भीतर भी घट रहा होता है और

बाहर भी घट रहा होता।

वह हादसा जिसके पहले भी कोई था यहाँ

और उसके बाद भी कुछ बचा रहेगा

वह हादसा जो हमें समूह में निगल सकता है

और अकेले अंदर-ही-अंदर भी,

किसी ख़ूबसूरत हादसे पर मिले थे हम

किसी मनहूस हादसे पर जुदा हो गए थे

किसी अन्य हादसे के इंतज़ार में

जो हमें पृथ्वी के कहीं किसी छोर पर

लाकर मिला दे शायद कभी।

मैं पूरा ज़ोर लगाकर भी उस हादसे को तो

नहीं रोक सकता

पर उस हादसे के घटित होने तक

तुमको प्यार ज़रूर कर सकता हूँ।

स्रोत :
  • रचनाकार : केतन यादव
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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