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बालम बिरह हरजाई

balam birah harjai

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

बालम बिरह हरजाई

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

और अधिकजगजीवन मिश्र ‘जीवन’

    बालम विरह हरजाई, हमइ राति नींदउ आई

    कैसे दरदवा बताई हमइ राति नींदउ आई

    हमइ राति नीदउ आई

    विरहा की अगिनी जलइ देंह सारी

    माहउ कि गरमी लगइ जेठ वारी

    जनउ खाइ दउरइ रजाई

    हमइ राति नींदउ आई

    बालम विरह हरजाई, हमइ राति नींदउ आई

    सहि सकउँ होवइ अइसी दरदिया

    तुम नाई कहिका बतावउँ मरजिया

    दुसरौ बैदु कोई नाई

    हमइ राति नीदउ आई

    बालम विरह हरजाई, हमइ राति नींदउ आई

    जब बगियन मा बोलइ कोयलिया

    नाचइ मनउ म्वार बाँधे पयलिया

    अँचरा उघारइ पुरवाई

    हमइ राति नीदउ आई

    बालम विरह हरजाई, हमइ राति नींदउ आई

    द्याँह लपटि बरसै बैरिन बदरिया

    भरि इतराइ लागि छलकै गगरिया

    कइसे कहउ पार पाई

    हमइ राति नींदउ आई

    बालम विरह हरजाई, हमइ राति नींदउ आई

    आये बलमवा पथरानी अँखियाँ

    अपने सजन की बतावँइ बात सखियाँ

    यइ पल बड़े दुःख दाई

    हमइ राति नींदउ आई

    बालम विरह हरजाई, हमइ राति नींदउ आई

    स्रोत :
    • पुस्तक : सिरका (अवधी गीत संग्रह) (पृष्ठ 21)
    • रचनाकार : जगजीवन मिश्र ‘जीवन’
    • प्रकाशन : भगवत मेमोरियल इंटर कॉलेज समिति, मिश्रिख, सीतापुर
    • संस्करण : 2015

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