Font by Mehr Nastaliq Web

सायर बुद्धि बनाय के

saayar buddhi bnaay ke

कबीर

अन्य

अन्य

कबीर

सायर बुद्धि बनाय के

कबीर

और अधिककबीर

    सायर बुद्धि बनाय के, बाँयें बिचक्षण चोर।

    सारी दुनियाँ जहँडे़ गई, कोई लागा ठौर॥

    जीवों के ज्ञानधन एवं मानवता की चोरी करने वाले कुपथगामी विद्वानों ने अपनी बुद्धि को समुद्रवत विशाल बनाकर एवं नाना भ्रमपूर्ण ग्रंथों को रचकर समाज का पतन किया है। इसी में पड़कर संसार के सारे लोगों के विवेक-विचार नष्ट हो गए हैं। कोई अपनी स्थिति को नहीं प्राप्त हुआ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीजक: पारख प्रबोधिनी व्याख्या (पृष्ठ 522)
    • संपादक : अभिलाष दास
    • रचनाकार : कबीर
    • प्रकाशन : कबीर पारख संस्थान
    • संस्करण : 1969

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY