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कोठी तो है काठ की

kothi to hai kath ki

कबीर

कबीर

कोठी तो है काठ की

कबीर

और अधिककबीर

    कोठी तो है काठ की, ढिग-ढिग दीन्हीं आग।

    पण्डित जरि झोली भये, साकत उबरे भाग॥

    लकड़ी का मकान हो, उसमें जगह-जगह आग सुलगा दी गई हो और उसमें जोरों से आग लग गई हो। उसमें पंडित तथा अशिक्षित दोनों रहते हों, तुम्हें आश्चर्य होगा कि पंडित तो जलकर राख हो गए और अशिक्षित भागकर बच गए। यह शरीर तथा संसार काठ की कोठी है। इसमें विषय-वासना एवं शिक्षित कहलाने वाले लोग अपने ज्ञान के मद में पड़कर इस आग में जलकर मरते हैं और सरल-हृदय अशिक्षित लोग इससे भागकर बच जाते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीजक: पारख प्रबोधिनी व्याख्या (पृष्ठ 462)
    • संपादक : अभिलाष दास
    • रचनाकार : कबीर
    • प्रकाशन : कबीर पारख संस्थान
    • संस्करण : 1969
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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