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बड़े न हूजै गुननु बिनु

baDe na hujai gunanu binu

बिहारी

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बड़े न हूजै गुननु बिनु

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और अधिकबिहारी

    बड़े हूजै गुननु बिनु, बिरद-बड़ाई पाइ।

    कहत धतूरे सौं कनक, गहनौ गढ्यौ जाइ॥

    बिना गुणों के नाममात्र की प्रशंसा प्राप्त करके कोई व्यक्ति बड़ा नहीं बन सकता है। धतूरे को कनक कहते हैं, किंतु उससे गहना नहीं बन सकता है। गहने स्वर्ण से बनते हैं, धतूरे से नहीं। अत: एक ही नाम हो जाने से कोई प्रशंसा का पात्र नहीं हो सकता है। यानी मनुष्य को प्रतिष्ठा गुणों के आधार पर मिलती है, वह अर्जित नहीं की जाती, स्वतः प्राप्त हो जाती है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बिहारी सतसई (पृष्ठ 282)
    • संपादक : हरिचरण शर्मा
    • रचनाकार : बिहारी
    • प्रकाशन : श्याम प्रकाशन, जयपुर
    • संस्करण : 2007

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