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कुछ फ्रॉड वाक़ई रचनात्मक और अद्भुत होते हैं

कुछ फ्रॉड वाक़ई रचनात्मक और अद्भुत होते हैं

कुछ फ्रॉड वाक़ई रचनात्मक और अद्भुत होते हैं। लेखिका ली इसराइल का फ्रॉड कुछ ऐसा ही था।

ली इसराइल 1970-80 के दशक की एक मशहूर बायोग्राफी राइटर थीं, लेकिन 1990 तक उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई। वह ‘राइटर्स ब्लॉक’ से जूझ रही थीं। वह लिखने बैठतीं, लेकिन कुछ लिख नहीं पातीं। कल तक उनकी किताबें बेचने वाले लिटरेरी एजेंट उनसे कन्नी काटने लगे थे। कमरे के किराए के पैसे नहीं थे। प्यारी बिल्ली मरने की कगार पर थी और इलाज के लिए पैसे नहीं थे। इस सबके बावजूद वह किसी तरह कॉमेडियन फैनी ब्राइस की जीवनी पूरा करने में लगी थीं।

एक रोज़ लाइब्रेरी में अपने रिसर्च के दौरान उन्हें फैनी ब्राइस की एक पुरानी चिट्ठी मिलती है। वह उसे चुरा लेती हैं और दुर्लभ किताबें बेचने-ख़रीदने वाले एक स्टोर में बेच देती हैं। उन्हें उस चिट्ठी की थोड़ी कम क़ीमत मिलती है। वहाँ उन्हें पता चलता है कि अगर उसमें कोई गॉसिप मैटेरियल होता तो वह ज़्यादा में बिकती। यहीं से उन्हें एक आयडिया आता है।

ली इसराइल बड़े लेखकों की फ़र्जी चिट्ठियाँ बनाने लगती हैं। वह उन्हीं की शैली में गॉसिप से भरी चिट्ठियाँ तैयार करती हैं और उन्हें दुर्लभ दस्तावेज़ बताकर बेच देती हैं। चिट्ठियों की स्टाइल, भाषा, हस्ताक्षर, फॉन्ट सब असली लगे;  इसके लिए वह तमाम जतन करती हैं। वह रेमिंगटन्स एंड रॉयल्स, एडलर्स, ओलम्पियस जैसे पुराने एंटीक टाइपराइटर सेकेंड हैंड दुकानों से जुगाड़ करती हैं। ये वही टाइपराइटर थे, जिस पर संबंधित लेखक अपने समय में टाइप किया करते थे। 

वह लाइब्रेरी से पुराने जर्नल्स के पिछले ख़ाली पन्नों को फाड़ लाती हैं, ताकि उन पीले पड़े कागजों पर चिट्ठियाँ विंटेज और असली लगें। वह लेखकों के हस्ताक्षर की भी हूबहू नक़ल कर लेती हैं।

ली इसराइल ने डोरथी पार्कर, लुइस ब्रुक्स, नॉयल, होगार्ट, हेमिंग्वे जैसे दर्जनों लेखकों की करीब 400 फ़र्ज़ी चिट्ठियाँ तैयार कीं और उन्हें अच्छे दामों पर बेचा। इससे उनकी डिरेल हुई ज़िंदगी वापिस चल पड़ी। वह मज़े से जीने लगीं।

लेकिन बाद में कुछ ख़रीदारों को पत्रों के नक़ली होने का शक हुआ और उन्होंने ने ली इसराइल से पत्र ख़रीदना बंद कर दिया।

ली इसराइल ने इसका काट निकाला। वह आर्काइव जाने लगीं। वहाँ से वह असली-असली चिट्ठियाँ चुराने लगीं। लेकिन अंत में वही हुआ। वह एफ़बीआई द्वारा पकड़ी गईं। कोर्ट में उन्होंने अपनी ग़लती मानी, पर अफ़सोस ज़ाहिर नहीं किया। वह बोलीं, ‘‘ये मेरे जीवन के सबसे रचनात्मक साल थे, जब मैंने ख़ूब लिखा। मैंने क्राइम किया है। मैं मानती हूँ और मुझे जो सज़ा दी जाएगी, मुझे मंज़ूर है।

अंततः उन्हें जेल नहीं भेजा गया। वह पाँच सालों के लिए प्रोबेशन पर और छह महीनों के लिए नज़रबंद रखी गईं।

उनकी फ़र्ज़ी चिट्ठियों से हतप्रभ एफ़बीआई ने भी उन्हें ब्रिलियंट माना।

इन सबसे उबरने के बाद ली इसराइल ने अपने इस फ्रॉड पर आधारित एक ऑटोबायोग्राफी लिखी—‘कैन यू एवर फ़ॉरगिव मी?’ वर्ष 2018 में इसी नाम से एक फ़िल्म भी आई।

ली इसराइल अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखती हैं, ‘‘मैं उन पत्रों को अपना सबसे बेहतरीन काम मानती हूँ और मुझे उन पर गर्व है।‘’ वह आगे लिखती हैं, ‘‘वकीलों की नज़र में मेरा क्राइम सेक्सी था।’’

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